बिदाइ हुई थी जब उसकी मां ने कहा था, 'अपने संसार में सुखी रहना.'! बाबा ने कहा था, 'उस आंगन को सजा के रखना।' मन पूछ उठा, 'बचपन तो इस आंगन में बिताया था' मैं तो संसार को तो छोड़ कर जा रही थी, तो मां ने किस संसार कि बात कही? बिदाई की बेला,… Continue reading कौन सा घर है उसका?
Category: Poetry
आत्महत्या समाधान नहीं है।
~~स्वर्गीय पिता के नाम पुत्र का खत~~
सोचा ना था मैंने
सोचा ना था मैंने, जाना न था मैंने कि ज़िन्दगी बदल देगा वो एक दिन जब घर से निकली थी मैं कॉलेज के लिए!
वृद्ध हो चला है
कमरे में आते ही, उसपर नज़र पड़ जाती है, कितना वृद्ध हो चला है वो चेहरे पर कुछ लकीरें दिख ही जाती है। एक वक्त था मेरे सारे बोझ हँसकर उठा लिया करता था अब शायद संभाल ना पाए इसलिए उसे परेशान नहीं करती पर अक्सर उसे देखा करती हूं। असहाय सा, आड़े टेढ़े करवट… Continue reading वृद्ध हो चला है
ये कैसे चलता है?
याद है माँ, तुम कहती थी मुझे अक्सर, की ध्यान नहीं देते बेटा, ये सब चलता है पति है, प्यार भी तो वही करता है। इसलिए जब मुझे पहली दफा रौंदा गया, मेरे चेहरे को कुरूप बोला गया, मैंने दिल से उस बात को नहीं लगाया माँ, मैंने सोचा, चलता है पति है, प्यार भी… Continue reading ये कैसे चलता है?