बिदाइ हुई थी जब उसकी मां ने कहा था, 'अपने संसार में सुखी रहना.'! बाबा ने कहा था, 'उस आंगन को सजा के रखना।' मन पूछ उठा, 'बचपन तो इस आंगन में बिताया था' मैं तो संसार को तो छोड़ कर जा रही थी, तो मां ने किस संसार कि बात कही? बिदाई की बेला,… Continue reading कौन सा घर है उसका?
Tag: Poetry
सोचा ना था मैंने
सोचा ना था मैंने, जाना न था मैंने कि ज़िन्दगी बदल देगा वो एक दिन जब घर से निकली थी मैं कॉलेज के लिए!
ये अस्पताल
ये अस्पताल मुझे रेलवे स्टेशन सा लगता है, यहाँ के अंजान लोगों में भी कुछ जाना पहचाना सा लगता है! भीड़ यहाँ भी कुछ स्टेशन सी होती है, बेटे को देख माँ यहाँ भी रोती है, यहाँ भी आने वाले मेहमान का इंतज़ार मुस्कुरा कर होता है, यहाँ भी जाने वाले के लिए हर शख्स… Continue reading ये अस्पताल
The Dear Departed Soul
Once in a while, life takes away someone you hold dearer too. It may be one of your parents, a family member, a relative, or a friend. Life seems to come to a standstill. It seems to be slipping amidst your fingers like sand. You lose control over everything, your happiness, your emotions, and your… Continue reading The Dear Departed Soul
ये कैसा समाज है?
पिताजी को लड़की चाहिए, माँ को चाहिए लड़का इन दोनों खाँचो में मैं न जन्मा, तो समस्त समाज मुझपर भड़का। तिरस्कार भरी नज़रों से देख, "अलग हो तुम" कहते हैं, मेरे अपने ही मुझसे कटे कटे रहते हैं। परीक्षा में जो मैं त्रुटि कर आऊँ "तैयारी ही नहीं की होगी" के हज़ार ताने पाऊँ पर… Continue reading ये कैसा समाज है?