खुशकिस्मत हूं मैं
की जन्मी ऐसे घर में
जहाँ कोई भेदभाव नहीं होता
लड़की पैदा होने पर
कोई नहीं रोता!
बदकिस्मती बस इतनी सी है,
की ऐसे समाज का हूँ मैं हिस्सा
जहाँ रोज़ का है ये किस्सा
जहाँ मेरे परिवार से,
कोई ये कहते नहीं थकता
की काश एक बेटा होता!
उन लोगों से मुझे है कहना
तुम क्या जानो,
कितना मुश्किल है बेटी बन के रहना!
बेटा तो पैदा होकर बेटा ही रहता है
पर बेटी बेटा बने हर कोई चाहता है!
मैं माँ के साथ
बाबा का भी बंटाती हूँ हाथ
कभी कभी दोनों के काम
करती हूँ साथ साथ
ताकि कोई ये ना कहे
की काश एक बेटा होता!
रसोई सँभालने के साथ
राशन भी मैं लाती हूं,
कभी माँ की परेशानी मिटाती हूं
कभी बाबा को समझाती हूं!
दादी की सेवा करने के साथ
उनको अस्पताल भी मैं ले जाती हूं,
हर परीस्थिति में सबको सँभालते हुए
खुद अकेली पड़ जाती हूं!
होली की मिठाई बनाने के साथ
दिवाली की लड़ियाँ भी मैं ही लगाती हूं!
घर में पूजा हो अगर
तो पेड़ पर चढ़ कर
आम्र पल्लव भी मैं तोड़ती हूं,
रामनवमी में
ध्वजा के लिए गड्ढा भी
मैं कोड़ती हूँ!
तो क्यों कहते है लोग
काश एक बेटा होता!
कितना भी जतन कर ले
पर सोच नहीं बदलती है
सामाजिक विषमता जैसी चलती आयी है
वैसी ही रहती है
भेद भाव तुम करते हो
सुरक्षा के नाम पर
घर में कैद तुम करते हो
तो किस मुँह से
काश एक बेटा होता
कहते हो?
गलती बेटी से हो
तो नाटक हज़ार करते हो,
वही अगर बेटा करे
तो नज़र अंदाज़ करते हो!
बेटी की हँसी पर भी ऐतराज़ करते हो
और बेटे की धृष्टता पर भी नाज़ करते?
बेटे पर कोई पाबंद नहीं रखते
बेटी को
नज़रबंद हो करते?
क्या इसलिए काश एक बेटा होता कहते हो?
अद्भुत 👌👌👌👌👌👌😘😘😘😘😘
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Thank you 🙂
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Bahut khub likha hai..👌👌
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बहुत बहुत धन्यवाद!
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Nice one
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Wowww… 👏👏👏
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Thanks a lot
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Nice write-up me !
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Thanks a lot.
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Wah kitni khubsoorati aur saralta se apne iss paksh ko nyaypurn prastut Kia
Wakai Samaj ko ab badalna hoga
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बेहतरीन
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As always… Beautiful lines ❤️🙌
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हर मां बाप की है यही आस ।
कभी कोई बेटी ना हो उदास।
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Outstanding…..
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Thank you
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